5 TIPS ABOUT BAGLAMUKHI SADHNA YOU CAN USE TODAY

5 Tips about baglamukhi sadhna You Can Use Today

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She pulls the tongue of the demon by her left hand, whilst raising the appropriate hand to strike him with a club.[4] Yet another description claims that she has four arms plus a third eye. A yellow crescent moon adorns her forehead.

सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: मां बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।

कैसे करें गर्भाधान संस्कार, पढ़ें ज्योतिषीय जानकारी...

जग कल्याणी माँ बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करें समस्याओं का निदान करें

‘दिवः विष्टम्भ:’ अर्थात् दिव-लोक का स्तम्भन करनेवाली।

These days we are going to show you about comprehensive introduction to carrying out the Baglamukhi puja at your home.

आचमनी में जल लेकर उसमें चंदन, अक्षत तथा पुष्प डालकर, उसे मूर्ति के हाथ पर चढ़ाएं ।

देवी को धूप दिखाते समय धुएं को हाथ से न फैलाएं। धूप दिखाने के उपरांत देवी का विशिष्ट तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने हेतु विशिष्ट सुगंध की अगरबत्तियों से उनकी आरती उतारें।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

बगलामुखी अपने उपासक के दुश्मन को गतिहीन बना देती है। सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाली महाशक्ति देवी उपासक के शत्रुओं के कार्यों और उनके वाचन के संदर्भ में लगाम लगाने का आशीर्वाद देती है।

The anger from the offended person is taken off; an evil minded individual results in being very good. here The short relocating individual gets to be crippled. The conceit in the conceited individual is lowered. Experienced individual almost gets to be a idiot. Salutations to your compassionate Bagalamukhi!)

श्रीबगला विद्या का बीज पार्थिव है-‘बीजं स्मेरत् पार्थिवम्’ तथा बीज-कोश में इसे ही ‘प्रतिष्ठा कला’ भी कहते हैं।

वृहस्पतिर्मातारश्वोत वायुस्संध्वाना वाता अभितो गृणन्तु ॥

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